बच्चे स्वभाव से ही जिज्ञासु, खोजकर्ता, एवं चुनौती स्वीकार करने वाले होते हैं। यह उनके विकास के लिये अत्यंत आवश्यक भी है। इसमें किसी भी तरह की रोक टोक बच्चे के विकास में अवरोध पैदा कर सकते हैं।
पहले बच्चे इन गतिविधियों के लिये अपने परिवार के सदस्यों,स्कूल शिक्षकों एवं सहपाठियों पर निर्भर रहते थे। परिणाम स्वरूप एक अच्छा वातावरण अधिकतर बच्चों को विकास के लिये मिल जाता था। बड़े परिवार एवं काफी खाली समय के चलते बच्चों को कभी अकेलापन महसूस नहीं होता था। शाम का समय प्रायः बच्चों का मोहल्ले में खेल कूद में बीतता था जिससे अच्छा खासा व्यायाम हो जाता था। अच्छी भूख, घर का शुद्ध भोजन एवं थकान के कारण अच्छी नींद अच्छे स्वास्थ को सुनिश्चित करने के लिये काफी थी।
बदलते समय के साथ संयुक्त परिवार के बिखराव एवं माता पिता दोनो के कार्यरत रहते बच्चों को घर में अकेलापन महसूस होने लगा। समय की कमी के चलते बाहर खाने या बाहर से खाना मनाने का चलन बड़ा। सप्ताहांत मनाने बाहर होटल में प्रायः जाने का प्रचलन बढ़ने लगा। बच्चों के अकेलेपन को दूर करने के लिये नये नये खिलौने दिये जाने लगे। तकनीकी विकास के चलते खिलौनों का स्थान कम्प्यूटर, टेबलेट अथवा फोन ने ले लिया। इंटरनेट ने इन उपकरणों के जरिये अपनी जिज्ञासा शांत करने के लिये मानो जानकारी का ख़ज़ाना खोलकर रख दिया।बच्चों को इनकी लत लग गयी, अपने दोस्तों के साथ मिलकर भी यही सब देखने में वे व्यस्त रहने लगे। बाहर खेलना लगभग बंद हो गया, आँखों पर अधिक जोर पड़ने से स्वास्थ संबंधी समस्यायें होने लगी। इससे भी बड़ी समस्या तब पैदा हुई जब इंटरनेट पर हानिकारक सामग्री एवं गेम आने लगे।
इन समस्याओं के कारण अभिभावकों का चिंतित होना स्वभाविक था।
कुछ अभिभावक ने समझदारी से काम लेते हुए अपने बच्चों को समझा कर इन हानिकारक सामग्री से दूर रहने की तथा इंटरनेट पर कम समय रहने की सलाह दी। वे अपने खाली समय को अपने बच्चों के साथ बिताने लगे। इस प्रकार वे अपने बच्चों को इंटरनेट के नुकसान से बचाने में सफल रहे। इसके एवज में उन्हें अपने लिये सुख सुविधा को अवश्य ही त्यागना पड़ा। किंतु वे बच्चों के विकास को अबाध रूप से आगे बढ़ाने में अवश्य ही सफल रहे। ऐसे बच्चों में ज़िम्मेदारी, धैर्य एवं स्वनियंत्रण आदि गुण उनके चरित्र का हिस्सा बन गये जो आगे चलकर सफलता की नींव साबित होंगे।
कुछ अभिभावक अपने बच्चों को इंटरनेट से दूर रखने के लिये उन्हें डाँटने लगे या बाहर जाते समय फोन आदि उपकरणों को छुपा कर जाने लगे। ऐसे बच्चों में आक्रोश, विद्रोह एवं मायूसी के गुण विकसित होने लगे। आगे चलकर उनके जीवन पर इसका कितना प्रभाव पड़ेगा यह उनके स्वविवेक पर निर्भर करेगा।
कुछ अन्य अभिभावक जो अपने स्वयं के लिये जिंदगी का लुत्फ़ उठाना पसंद करते थे उन्होंने बच्चों को अपने हाल पर थोड़ी बहुत समझाईश देकर छोड़ दिया। ऐसे कई बच्चों के मुसीबत में पड़ने के क़िस्से आये दिन सुनने को मिलते रहते हैं।
आज के समय बच्चों को आधुनिक तकनीक व साधनों से दूर रखना न तो संभव है न ही उचित। ऐसे अभिभावकों के लिये जिनके पास बच्चों के लिये समय नहीं है या धीरज नहीं है, बाज़ार में ऐप्स है जो बच्चों को इन उपकरणों के गलत या अत्यधिक उपयोग से रोक सकती हैं।
किडोवेयर ने ये तीन दिलचस्प एप्स माता पिता की बच्चों पर नजर रखने में सहायता के लिये बनायी है।
इस एप की मुख्य विशेषतायें नीचे दी गयी हैंः
अतः यदि आप अपने बच्चों को सुरक्षित रखना चाहते हैं तो बिना पुनर्विचार किये गूगल प्ले स्टोर या प्ले स्टोर से एप डाउनलोड करें
FREE LINK for Safe Browser Parental Control App by Kiddoware– Blocks Adult Sites
Your kids can only use those apps and won’t get a chance to intrigue in your personal life.
सेफ ब्राउजर एवं किड्स प्लेस विडियो प्लेयर एप डाउनलोड करना न भूलें
Free Safe Browser App Link – https://play.google.com/store/apps/details?id=com.kiddoware.kidsplace
Protect your child’s digital journey with Kids Place – a free parental control app that…
In a world where children are introduced to digital devices before they even learn to…
In the digital age, where children are increasingly exposed to smartphones and tablets, ensuring their…
Introduction As technology becomes more integrated into daily life, parents are looking for the best…
Today’s children are growing up in a digital-first world. Managing how kids interact with phones…
Are you a parent constantly battling with your child over screen time? You're not alone.…